Monday, 16 July 2012

भाषा ,अपने विचारो को अभिव्यक्त करने का माध्यम है दुनिया में कही भी चले जाओ किसी न किसी तरह की भाषा का सामना करना ही पड़ेगा .मानव ने भाषा से  पहले संकेत को माध्यम चुना होगा .फिर भाषा का विकास हुआ होगा. पर भाषा सिखना एक जटिल कार्य मन जाता है मगर एक बच्चे की बात करे तो बच्चा अपने परिवार में बोली जाने वाली भाषा बिना किसी परेशानी के आसानी से सीख जाता है , अब बात हम इंग्लिश की करे तो बच्चो को भरी दिक्कतो का सामना करना पड़ता है और यहाँ तक के भी होता है की बच्चो को स्कूल तक छोड़ना पड़ता है कयोकी उस भाषा को सीखने के लिए मार डाट और बेज्जती का भी सामना करना पड़ता है .
अब बात आदिवासी क्षेत्र की करे तो यहाँ के बच्चो का हाल  भी वैसे ही होता है जैसे इंग्लिश के समय होता है. बच्चो को अपने घर में भी हिंदी कम सुनने को मिलती है और ज्यादा अपनी मार्तभाषा ही सुनता है और उसके परिवेश में भी अपनी भाषा सुनने को मिलती है. स्कूल में शिक्षक बच्चो को भाषा सिखाने की कोशिश करता है जिसके लिया वो बच्चो को पीटई भी की जाती है, पर घर की भाषा सिखाने के लिया कभी उसे मार नही पड़ती, तो कहने का मतलब यह है की बच्चो के ऊपर भाषा का भर थोपे नही नही तो बच्चा स्कूल से ही बहार हो जायेगा .

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