Tuesday 31 July 2012



cnyko



lqcg ds v[kckj ij utj iMh]

fQj cnyko dh ckr vku iMhA

ljdkjh dh pky Fkh ;k fn[kkok]

ij fQj ls Nys tkus dk cgkukA

vksj gj ckj dHkh cka/k]

rks dHkh vHk;kj.k ds uke ij BxkA

ljdkj us bl ckj ukjk fn;k]

fd ge lHkh dks iDds eadk nsxsA

ij “krZ ;g gS fd rqe viuh]

txg dk cfynku nksxsA

vksj bl ckj Hkh xjhc]

Nys tkus dks rS;kj gSA

Thursday 19 July 2012

Deepak

25 प्रतिशत

आर टी ई याने 6 से 14 साल के सभी बच्चो को निशुल्क शिक्षा, बच्चा ग्रामीण हो या शहर का  या किसी गरीब का। तो आर टी ई से  सब बच्चो को शिक्षा मिलेगी यह तो पक्का हो गया, अब सवाल यह हे की आर टी ई को लागु कैसे किया जाए क्योकि आर टी ई को सरकार ने हमारी झोली में डाल तो दिया है पर बहुत सी कमी के साथ, अभी हल का बेगलोर का उदा. है की निजी स्कूल में जो वंचित परिवार के बच्चो को 25 प्रतिशत आरक्षण के तहत प्रवेश दिया गया था उन बच्चो के बाल कट दिए गए ताकि बे सब से अलग दिखाई दे.यह तो एक उदा . है इस आरक्षण के तहत कोई बच्चो को बेज्जती का शिकार होना पड़ा, इन बच्चो के साथ भेदभाव किया जाता है और तरह तरह से परेशां किया जाता है कुछ बच्चे तो अपने घर बता पाते  है शायद कुछ न बता पाते  होगे और निजी स्कूलभी नही चाहता की ये गरीब बच्चे हमारी स्कूल में पढ़े उन सभी बच्चो की बजह से स्कूल में पढ़ने वाले आमिर लोग अपने बच्चे का नाम नही लिखायेगे जिसका असर सीधा स्कूल पर होगा।
माता पिता अपने बच्चो को बहुत से सपने लिए बड़े स्कूल में प्रवेश दिलाते है पर जब भेदभाव की बात पता चलती है तो उनके सपने टूट जाते है। आये दिन बच्चो के साथ भेदभाव की बात सामने  है मगर फिर भी लोग अपने बच्चे को निजी स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए हर प्रयास करते है कारण सरकारी स्कूल में पढाई ठीक नही, शिक्षक नही भवन नही, तो सरकारी स्कूल में न पढ़ने के बहुत से कारण बता दिए जाते है। मगर सरकरी स्कूल में क्या कमी है उसे पूरी करने में आगे नही आयेगे, सरकार भी क्यों चाहेगी की स्कूल ठीक हो उन्हें क्या पड़ी है कोन से उनके बच्चे  सरकारी स्कूल में पढ़ते है जो उन्हें चिंता हो।  25 प्रतिशत के पीछे सभी भाग रहे है मगर सरकारी स्कूल कैसे ठीक हो यह कोई नही सोचता।   

Wednesday 18 July 2012

सीखना

सीखना और सीखाने की बात आती है तो शिक्षक और बच्चे सबसे पहले जहन में आते है , सीखना पूरी तरह से खुद का होता है हमें या बच्चो को सीखने वाला जो होता है वह केवल सहयोग का काम करता है, इसे एक उदा. से समझा जा सकता है। जब हम सायकल चलाना सीखते है तो सहयोग के लिए तो कोई भी आ जाता है मगर चला कर तो हमें ही देखना पड़ेगा की साय कल कैसे चलेगी। कैसे पैढल मरेगे कैसे सायकल पकड़ी जाये। तो मुद्दा यह है की सीखना क्या है और कैसे सीखते है। स्कूल में बैठे बच्चे की बात करे तो बच्चा सीखने की भूमिका में दिखाई  देता है और शिक्षक सीखाने की भूमिका में दिखता है। शिक्षक यह मान के चलता है की मेरे पास जो है वो सब में बच्चो को देना चाहता हु मसलन ghayaan . शिक्षक बच्चो को सीखते तो है पर बच्चे नही सीख पाते एसा शिक्षक का मानना  है शिक्षक का मानना भी सही है क्योकि शिक्षक अपनी कक्षा में बच्चो की कैसे पढ़ा रहा है बच्चो के बीच डर का माहोल पैदा करता है जो बच्चो के सीखने में बांधा उत्तपन कराती है। बच्चो के साथ कोई नया कम नही बस उसके पास को है वह बच्चो के अन्दर भरना चाहता है भले ही बच्चो को समझ आ रहा है या नही इस बात की उसे चिंता नही होता, हो भी क्यों उसे जो एक साल की जिम्मेदारी दी गई है वह पूरी करना है तो वह अपना काम कर के ही रहेगा.शिक्षक यह सब जनता है की कितने बच्चे सीखा रहे है और कितने नही मगर फिर भी वह आगे बढ़ जाता है और बाकि बच्चो को अपने हालात पर छोड़ देता है और वह बच्चे धीरे धीरे स्कूल से दूर हो जाते है।  

Tuesday 17 July 2012

शिक्षा

पर्यावरण जिसमे हम निवास करते है इस पर्यावरण में देखे तो बहुत से जीव ,वस्तुए पाई जाती है इन सब की जानकारी देना ही पर्यावरण कहलाता है .और जब बात बच्चो की आती है की बच्चो को पर्यावरण पढ़या जाता है तो बड़ा ही नीरस होता है, पर्यावरण में पेड़ पौधो की जानकारी देना होता है तो कक्षा के अंदर ही सारा ghayaan    दिया जाता है कक्षा से बहार निकलना ही नही चाहते,तो बात यह है की सब ghayaan देना चाहते है पर महेनत नही करना चाहते चाहे  बच्चो को समझ आये या नही उनको कोई मतलब नही.
अगर बच्चो की पढाई को मजेदार बनाना है और ऐसा ghayaan    जो बच्चो के जीवन से जुड़ा हो. आज  पर्यावरण से जुडी एक गतिविधि की गई इस  गतिविधि में पेड़ का अवलोकन करना था इस अवलोकन में 31 प्रश्न दिए गए जब इन प्रश्नों को हल किया तो सभी ने पाया की इस  गतिविधि में गणित, पर्यावरण ,भाषा, आदि कार्य अपने आप किया गया. मतलब यह है की बच्चो को पढ़ना है तो कक्षा से बहार भी पढाया जा सकता है और वो भी मजेदारी के साथ जिसमे बच्चे अर्थपुण शिक्षा मिल सके. 

Monday 16 July 2012

भाषा ,अपने विचारो को अभिव्यक्त करने का माध्यम है दुनिया में कही भी चले जाओ किसी न किसी तरह की भाषा का सामना करना ही पड़ेगा .मानव ने भाषा से  पहले संकेत को माध्यम चुना होगा .फिर भाषा का विकास हुआ होगा. पर भाषा सिखना एक जटिल कार्य मन जाता है मगर एक बच्चे की बात करे तो बच्चा अपने परिवार में बोली जाने वाली भाषा बिना किसी परेशानी के आसानी से सीख जाता है , अब बात हम इंग्लिश की करे तो बच्चो को भरी दिक्कतो का सामना करना पड़ता है और यहाँ तक के भी होता है की बच्चो को स्कूल तक छोड़ना पड़ता है कयोकी उस भाषा को सीखने के लिए मार डाट और बेज्जती का भी सामना करना पड़ता है .
अब बात आदिवासी क्षेत्र की करे तो यहाँ के बच्चो का हाल  भी वैसे ही होता है जैसे इंग्लिश के समय होता है. बच्चो को अपने घर में भी हिंदी कम सुनने को मिलती है और ज्यादा अपनी मार्तभाषा ही सुनता है और उसके परिवेश में भी अपनी भाषा सुनने को मिलती है. स्कूल में शिक्षक बच्चो को भाषा सिखाने की कोशिश करता है जिसके लिया वो बच्चो को पीटई भी की जाती है, पर घर की भाषा सिखाने के लिया कभी उसे मार नही पड़ती, तो कहने का मतलब यह है की बच्चो के ऊपर भाषा का भर थोपे नही नही तो बच्चा स्कूल से ही बहार हो जायेगा .

Friday 13 July 2012

 बच्चो  की बात हो या बड़ो की सभी की सोच अलग अलग होती है इसको एक उदहारण से समझा जा सकता है कि एक चित्र को देखकर सभी के मन में अलग अलग विचार आते है .यही विचार जो ज्ञान कहलाता है यह ज्ञान पुराने अनुभव से जोड़ा जाता है .यह ज्ञान उसे कोई विरासत में नही मिलाता न ही जन्मजात मिलता है एक ही परिवार में जन्मे बच्चो की सोचने की क्षमता अलग अलग होती है यह ज्ञान उसके परिवेश पर निरभर करता है की उसे कैसा परिवेश मिल रहा है उसे कितने मौके मिले है या अवसर मिल पाए है ,जैसे एक ग्रामीण परिवेश में रहने वाले बच्चे का ज्ञान को कम आका जा सकता है की उसका ज्ञान कम है और किसी शहर के बच्चे का ज्ञान ज्यादा है क्योकि वह शहर के बच्चे के जैसे नई टेकनालाजी का ज्ञान नही हो, मगर उसे अपने परिवेश से जुडा ज्ञान खूब होगा .जैसे खेती कैसे की जाती है फसल में कब पानी देना है . तो ज्ञान  का असर खानदानी से नही होता परिवेश से ज्यादा असर करता है